आपके लिए पेश है विद्या का महत्व पर निबंध हिंदी में (vidya ka mahatva hindi nibandh) इस निबंध में विद्या के महत्व की काफी सारी जानकारी दी गयी है।
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विद्या का महत्व हिंदी निबंध
प्रस्तावना : विद्या क्या है? कैसी है? ये सब सवाल निरर्थक हैं क्योंकि विद्या से ही मनुष्य अच्छे-बुरे में अन्तर कर पाता है, भला-बुरा जान पाता है। किसी भी वस्तु का वास्तविक ज्ञान प्राप्त करना ही तो विद्या है। विद्याहीन मनुष्य जड़, मूर्ख व दानव होता है तथा विद्या से मनुष्य चेतन, जागरूक तथा देवता बन जाता है। जो व्यक्ति जिस कला को जानता है, वह उसका प्रकांड पण्डित बन जाता है तभी तो लकड़ी की विद्या जानने वाला बढ़ई तथा सिलाई की विद्या जानने वाला दर्जी कहलाता है।
विद्या के अनगिनत गुण : विद्या मनुष्य की असली पूंजी है तथा वास्तविक श्रृंगार है। विद्या से ही मनुष्य असली सम्पत्ति का मालिक बनता है। विद्यावान व्यक्ति विनयी हो जाता है, विनय से योग्यता आ जाती है तथा योग्यता से धन प्राप्त कर लेता है तथा इसके पश्चात् मनुष्य को सच्चे सुख तथा शान्ति की प्राप्ति होती है। विद्या ऐसा धन है जिसे जितना भी बाँटो उतना ही बढ़ता है, इसे कोई चुरा नहीं सकता, डाकू लूट नहीं सकता, भाई बाँट नहीं सकता, न पानी गला सकता है और न ही आग से जल सकती है।
विद्यावान मनुष्य की विशेषंताएँ : संसार के हर व्यक्ति को सम्मान, यश, ख्याति, धन, मान सब कुछ विद्या से ही प्राप्त होती है। संसार में जितने भी महान तथा यशस्वी व्यक्ति हुए हैं, वे विद्या से ही महान बने हैं। विद्यावान व्यक्ति अपनी अद्भुत विशेषताओं के कारण सदा ही प्रशंसनीय जीवन व्यतीत करता है। ऐसा व्यक्ति समाज के लिए, देश के लिए, घर के लिए, परिवार के लिए, स्वयं के लिए कलंकहीन जीवन जीता है। कभी भी ऐसा इंसान न तो भूखा रहता है न ही किसी को भूखा रखता है क्योंकि उसके पास विद्यारपी धन होता है।
प्राचीनकालीन विद्या : प्राचीनकाल में विद्या ग्रहण करने तथा विद्या पढ़ाने का अधिकार केवल ब्राह्मणों को ही प्राप्त था। प्राचीन काल में विद्या देने वाला गुरु अपने शिष्य से धन-दौलत नहीं बल्कि कोई और त्यागने योग्य वस्तु माँगता था। पहले शिष्य सच्ची निष्ठा की भावना से विद्या प्राप्त करने में लीन हो जाते थे और गुरु भी सेवा निष्कपट होकर करते थे।
वर्तमानकालीन विद्या : आजकल सभी गुरु हैं, सभी शिष्य हैं। आज विद्या का स्वरूप पूर्णतया बदल चुका है। आज विद्या ब्राह्मणों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सब इसे प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं। सरकार भी पिछड़ी जाति के लोगों को पढ़ाने पर अधिक जोर दे रही है ताकि वे ऊँची जाति के लोगों से कंधे से कंधा मिलाकर चल सके। लेकिन अब शिष्य व गुरु दोनों में उतनी जिम्मेदारी तथा कर्त्तव्य का भाव नहीं रहा, जो प्राचीनकाल में था। शिष्य गुरुओं की इज्जत नहीं करते तथा गुरु भी शिष्य को पूरी तरह समर्पित होकर नहीं पढ़ाते। आज विद्या में पैसा सबसे महत्त्वपूर्ण चीज बनकर रह गया है।
उपसंहार : वास्तव में विद्या हमारे लिए कल्पवृक्ष के समान है। विद्या ही हमारी जीवन रूपी नैया को पार उतार सकती है। विद्या के महत्व को सभी को समझना चाहिए तथा विद्या के प्रचार के लिए तन, मन, धन से जुट जाना चाहिए और देश से अज्ञानता का अंधकार दूर करना चाहिए।
विद्या का महत्व हिंदी निबंध PDF
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