आपके लिए पेश है सह शिक्षा पर निबंध हिंदी में (co education essay in hindi) इस निबंध में सह शिक्षा के बारे में काफी सारी बाते लिखी गई है।

co education essay in hindi

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सह शिक्षा पर निबंध हिंदी

प्रस्तावना : "सहशिक्षा" का शाब्दिक अर्थ है "साथ-साथ शिक्षा" अर्थात्‌ लड़के-लड़कियों को एक साथ शिक्षा देना। सहशिक्षा एक आधुनिक शिक्षा प्रणाली है और पश्चिमी देशों से भारत में आई है। कुछ लोगों का मत है कि वैदिक काल से ही सहशिक्षा का प्रचलन चला आ रहा है। मध्यकाल में सहशिक्षा कम हो गई थी। परिणामतः महिलावर्ग में शिक्षा का पूर्ण अभाव हो गया । उसके बाद अंग्रेजी शासन में पुनः सहशिक्षा प्रारम्भ हुई । महिलावर्ग एक बार फिर से जाग्रत हो गया और उन्होंने पुरुषों के साथ कन्धे से कंधा मिलाकर चलने का साहस किया।

जिस प्रकार प्रत्येक सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी प्रकार सहशिक्षा के भी लाभ एवं हानि दोनों ही हैं-

सहशिक्षा के लाभ : सहशिक्षा के पक्ष में बोलने वाले लोगों के अनुसार सहशिक्षा के लाभ ही लाभ हैं। सहशिक्षा हमारे सामाजिक जीवन की प्रगति के लिए अत्यावश्यक है। सहशिक्षा से हमारे देश की अर्थ-व्यवस्था भी सुदृढ़ होगी। सहशिक्षा में लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग विद्यालयों की आवश्यकता नहीं होगी, इससे बचे हुए पैसे को दूसरे कामों में लगाया जा सकता है। सहशिक्षा से छात्र-छात्राओं में परस्पर प्रतिस्पर्द्धा की भावना पैदा होगी और इससे उनका बौद्धिक विकास भी होगा। दोनों वर्ग एक-दूसरे से आगे निकलने का प्रयास करेंगे। लड़के लड़कियाँ एक-दूसरे से झिझकेंगे भी नहीं। इससे लड़कियों में व्यर्थ की लज्जा दूर होगी, जिससे पढ़ाई समाप्त होने पर वे नौकरी में लड़कों से बात करने पर शर्माएगीं नहीं और लड़के भी लड़कियों के समक्ष अधिक संयम में रहना सीखेंगे। उन्हें नारी का सम्मान करने की प्रेरणा मिलेगी । जिससे आगे जाकर उनका वैवाहिक जीवन भी सफल होगा।

सहशिक्षा की हानियाँ : सहशिक्षा के विरोधी मत वाले व्यक्तियों को इसमें कमियाँ ही कमियाँ प्रतीत होती हैं। उनके अनुसार सहशिक्षा से हमारी परम्पराओं तथा संस्कृति पर भीषण आघात हो रहा है। उनके अनुसार लड़के लड़कियों का विद्यालय विपरीत दिशाओं में होने चाहिए। सहशिक्षा प्राचीन काल की नहीं अपितु आधुनिक युग की देन है। सभी महापुरुषों ने इसका विरोध किया है। महात्मा कबीर तो नारी को सर्पिणी की भांति जहरीली तथा आग की भांति रौद्र-रूपा मानते थे। सहशिक्षा के विरोधी मत वाले यह भी मानते हैं कि इससे लड़के-लड़कियों का चरित्र भ्रष्ट हो रहा है। आजकल विद्यार्थी विद्यालयों में पढ़ने नहीं, अपितु प्रेम करने जाते हैं। वे विपरीत लिंग में अधिक रुचि लेते हैं और इसीलिए अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।

उपसंहार : भारतीय संस्कृति के प्रतिकूल होते हुए भी सहशिक्षा भारत में महत्वहीन नहीं है। इसके अनेक कारण हैं-प्रथम तो पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव, वर्तमान शिक्षा प्रणाली में विदेशी शासकों की नीति एवं लड़कियों की उच्च शिक्षा के लिए माँग तथा आगे जाकर लड़कों के बराबर पैसे कमाने के लिए नौकरियाँ करना। आज सह शिक्षा बड़े-बड़े नगरों से होती हुई गाँवों तक भी पहुँच चुकी है। हालांकि वर्मान समय में इसका स्तर कुछ गिर रहा है जिसका मुख्य कारण नैतिकता की कमी है। हमे इसके प्रति सजग रहना होगा। परन्तु सहशिक्षा का महत्व उसकी कमियों से कही अधिक है। सहशिक्षा द्वारा ही समाज में फैली विसंगतियों को सरलता से दूर किया जा सकता है।


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