आपके लिए पेश है पर्वतीय स्थल की यात्रा पर निबंध हिंदी में (parvatiya sthal ki yatra essay in hindi) इस निबंध में पर्वतीय स्थल की यात्रा के बारे में काफी सारी बाते लिखी गई है।
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पर्वतीय स्थल की यात्रा पर निबंध
प्रस्तावना : हमारे देश में अनेक खूबसूरत पर्वतीय स्थान हैं जो हर वर्ष अनगिनत देसी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। श्रीनगर, मंसूरी, नैनीताल, जम्मू, धर्मशाला, डलहौजी आदि की सुन्दरता देखते ही बनती है। ऐसे ही स्थानों में एक पवित्र स्थान "वैष्णो देवी" भी है जो एक पर्वतीय तथा धार्मिक स्थल है।
वैष्णो देवी यात्रा का वर्णन : वैष्णो देवी जाने के लिए पहले जम्मू तक जाना होता है। इसके आगे कटरा तक बस या प्राइवेट गाड़ी द्वारा जाया जा सकता है। हम भी पिछले महीने बस द्वारा कटरा गए।
जम्पू से कटरा तक यात्रा : पहाड़ों का दृश्य जम्मू से ही आरंभ हो जाता है। हम लोग भी जिस बस में बैठे थे उसमे सभी वैष्णो माता के दर्शन करने के लिए जा रहे थे। सड़क के दोनों ओर देवदार के वृक्षों की पंक्तियाँ दूर-दूर तक दिख रही थी। जम्मू से ही चढ़ाई आरंभ हो गई थी। साँप जैसे आकार वाली सड़क पर हमारी बस धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। रास्ते बहुत डरावने लग रहे थे क्योंकि मोड़ बहुत छोटे-छोटे तथा भयानक लगते हैं। लगता है यदि ड्राइवर से जरा सी भी चूक हो गई तो बस सीधी खाई में ही जाएगी। सायं 5 बजे के करीब हम लोग कटरा पहुँच गए।
कटरा से वैष्णो माता : कटरा से वैष्णो देवी तक की चढ़ाई पैदल ही करनी पड़ती है। जो पैदल नहीं चढ़ सकता उसके लिए 'हिंडोला', तथा 'पिट्ठ' भी उपलब्ध हैं। वैष्णो देवी तक चढ़ाई के दो रास्ते हैं पहला सीढ़ियों का रास्ता, जो थोड़ा छोटा है तथा दूसरा रास्ता पाँच छह फुट चौड़ी पगडंडी का है। हमने तो पैदल ही यात्रा का आनन्द लेने का निश्चय किया, इसलिए हम कटरा में थोड़ा विश्राम करके चढ़ाई के लिए निकल पड़े।
अर्ध कुमारी : कटरा से वैष्णो देवी मार्ग में सबसे पहले बाण गंगा आती है जहाँ का जल शुद्ध एवं शीतल है। यहीं से दो रास्ते आरंभ हो जाते हैं। हमने पगडंडी वाले रास्ते से जाने का निश्चय किया। हम थोड़ा चलते फिर कुछ खाते और फिर चल पड़ते। माता के दर्शन का उत्साह हमे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहा था। फिर हम अर्ध कुमारी पहुँच गए। यहाँ पर भोजन करके हम फिर आगे की यात्रा के लिए निकल पड़े।
अर्ध कुमारी से वैष्णो देवी : तब तक अंधेरा हो चुका था लेकिन माता की जय-जयकार करते हम अंधेरे में भी लगातार आगे बढ़ते गए। हमारा मन आनन्द से झूम उठा जब हमे माता का मन्दिर दिखने लगा। वहाँ पहुँचकर हमने स्नान किया और माता के दर्शन किए। मातां के दर्शन करते ही हमारी सारी थकान काफूर हो गई।
उपसंहार : पर्वतीय क्षेत्र में यात्रा करना निःसंदेह आनन्ददायक होता है। हमारी पर्वतीय यात्रा भी बहुत शुभ रही। वैसे तो हमारे पैर बहुत दुख रहे थे, लेकिन प्रकृति की सुन्दरता ने हमे हमारी सारी परेशानी भुल्ना दी।
पर्वतीय स्थल की यात्रा पर निबंध PDF
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