आपके लिए पेश है कर्त्तव्य पालन पर निबंध हिंदी में (kartavya palan essay in hindi) इस निबंध में कर्तव्य पालन की काफी सारी जानकारी दी गयी है।

kartavya palan essay in hindi

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कर्त्तव्य पालन निबंध हिंदी

प्रस्तावना : संसार में प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों के साथ-साथ कर्त्तव्य भी होते हैं। अपनी शक्ति, इच्छाशक्ति तथा सामर्थ्य के अनुसार कार्य करना ही कर्त्तव्य पालन कहलाता है। यदि अधिकार और कर्त्तव्य साथ-साथ चलते हैं तो समाज में सुव्यवस्था बनी रहती है। मानव के अतिरिक्त प्रकृति, जीव-जन्तु भी तो अपना कर्त्तव्य पालन करते हैं, तभी तो प्रकृति हमारा जीवन  सुन्दर बनाती है हमें अन्न-धन देती है। पशु-पक्षी भी अपना कर्त्तव्य पालन भली-भाँति करते हैं फिर हम तो इन्सान हैं। कर्त्तव्य-पालन करने से ही हमारे जीवन में सच्चरित्रता जैसे गुणों का विकास सम्भव है।

मानव-जीवन में कर्त्तत्य पालन की उपयोगिता : जन्म लेते ही हमारे कर्त्तव्य प्रारम्भ हो जाते हैं लेकिन समय के साथ-साथ हमारे इन कर्त्तव्यों में परिवर्तन होता रहता है। कर्त्तव्यों का भती-भाँति पालन करने से ही हमारा जीवन उल्लास, उमंग, शान्ति एवं यश से परिपूर्ण हो सकता है। जब तक हम किसी के लिए कुछ करेंगे नहीं, तो वह हमारे गुणों की प्रशंसा कैसे करेगा। गुणों का विकास भी प्रशंसा द्वारा ही होता है। इसलिए कर्त्तव्यों का पालन करने से ही गुणों में निखार आता है। बचपन में माता-पिता, गुरुजनों की आज्ञापालन हमारा कर्त्तव्य होता है।

विद्यार्थी जीवन में गुरुओं तथा अपने सहपाठियों के साथ हमारे कर्त्तव्य जुड़ जाते हैं। युवावस्था में अपने पड़ोसियों, नाते-रिश्तेदारी के अतिरिक्त राष्ट्र के साथ भी हमारे कर्त्तव्य जुड़ जाते हैं। गृहस्थ जीवन तो कर्त्तव्यों को निभाने का सबसे मुश्किल दौर होता है और फिर बच्चों के बड़े हो जाने पर भी हमारे कर्त्तव्य समाप्त नहीं होते । वास्तव में कर्त्तव्य हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक चलते हैं। परिवार, समाज, देश, तथा संसार की उन्नति के लिए किए गए कार्य ही कर्त्तव्य-पालन हैं।

प्रकृति एवं कर्त्तत्य पालन : कर्त्तव्य पालन का उत्तरदायित्व मनुष्य के कन्धों पर ही नहीं होता, वरन्‌ प्रकृति में भी कर्त्तव्य की भावना बहुत तीव्र होती है। सूर्य, चन्द्रमा, नक्षत्र, विभिन्‍न ऋतुएँ नित्यप्रति अपने कर्त्तव्य का पालन करते हुए संसार को आलोकित करते हैं। निःसन्देह प्रकृति ने ही मनुष्य को कर्त्तव्य बोध कराया है, कर्त्तत्य पालन से अवगत कराया है।

कर्त्तव्य पालन के लाभ : कर्त्तवत्य पालन को यदि अपना उत्तरदायित्व समझकर निभाया जाए तो हमें उसके अनेक लाभ दिखाई देंगें। कर्त्तव्य पालन करने वाला व्यक्ति मन का स्वच्छ एवं सरल होता है तथा निडर व साहसी होता है। सबसे बड़ी बात उसका कोई शत्रु नहीं होता, वरन्‌ मित्र ही मित्र होते हैं। हमारा इतिहास कर्त्तव्व्य परायण लोगों के अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है। पन्‍नाधाय ने अपने कर्त्तव्य पालन के लिए अपने पुत्र को बलिदान दे दिया था। महाराणा प्रताप ने अनेक कष्टों को सहने के बावजूद भी मुगल सम्राट अकबर के सामने नहीं झुके थे। मर्यादा पुरुषोत्तम राम का तो जीवन ही कर्त्तव्यों के लिए था तभी तो अपने कर्त्तव्य पालन के लिए अपनी पत्नी सीता का भी त्याग कर दिया था। महात्मा गाँधी, सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर, जवाहरलाल नेहरु, भगत सिंह सभी अपने कर्त्तव्यों का पालन करते हुए जीवन नैया को पार कर गए थे।

उपसंहार : कर्त्तव्य पालन की महत्ता अपरम्पार है जिसका जीवन के हर कदम पर महत्त्व है। कर्त्तव्य-पालन से विमुख रहने वाला व्यक्ति अपने अधिकार पाने का भी अधिकारी नहीं रह पाता है। जो व्यक्ति कर्त्तव्य-पालन से निपुण होता है, उसकी यशगाथा की सुगन्ध सर्वत्र फैल जाती है। सभी उसका आदर करते हैं तथा उसकी बात मानते हैं। इसलिए यदि हम घर, समाज, राष्ट्र तथा संसार सभी की सर्वांगीण उन्नति चाहते हैं तो हमें यह देखना चाहिए कि हमने किसी के लिए क्‍या किया है, यह नहीं कि किसी ने हमारे लिए क्‍या किया है। ऐसी सोच होने पर कठिनाईयां अपने आप दूर हो जाएगी।

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