आपके लिए पेश है आदर्श विद्यार्थी पर निबंध हिंदी में (adarsh vidyarthi essay in hindi) इस निबंध में आदर्श विद्यार्थी इस विषय के बारे में काफी सारी बाते लिखी गई है।

adarsh vidyarthi par nibandh hindi

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आदर्श विद्यार्थी पर निबंध हिंदी

प्रस्तावना : विद्यार्थी जीवन बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। इस काल का जों विद्यार्थी जिले भी अच्छे ढंग से प्रयोग करते हैं, उसका भविष्य उतना ही उज्ज्वल बन जाता है ऐसे विद्यार्थी को "श्रेष्ठ विद्यार्थी" या "आदर्श विद्यार्थी" की संज्ञा या उपमा दी जाती है क्योंकि उसमें सच्चरित्रता तथा नैतिकता कूट-कूटकर भरी होती है। वह विद्या प्रेमी, गुरु-भक्ति तथा बड़ों का सम्मान करने वाला होता है। वह पुस्तकों के अध्ययन के साथ-साथ, खेलकूद तथा दूसरी गतिविधियों में भी अव्वल होता है।

आदर्श विद्यार्थी के गुण : आदर्श विद्यार्थी विद्या-प्रेमी होता है। वह पुस्तकों का अध्ययन करके उनका मान करता है और फिर अच्छी बातों को ग्रहण करता है क्योंकि वह जानता है कि विद्या ग्रहण करके ही वह अपना जीवन सजा-सँवार सकता है। वह आलस्य को तो अपने पास फटकने भी नहीं देता क्योंकि आलसी व्यक्ति विद्या ग्रहण नहीं कर सकता। आदर्श विद्यार्थी विनम्र, संयमी एवं निष्ठावान होता है। धैर्य, सहनशीलता तथा कर्मव्यता उसके आभूषण होते हैं, उसका व्यवहार निश्छल होता है तथा वह छल-कपट से कोसों दूर रहता है। वह अपने बड़ों, माता-पिता, गुरुओं तथा सभी देशवासियों का सम्मान करता है तथा छोटों को स्नेह करता है। आदर्श विद्यार्थी का मुख्य गुण होता है नियमितता। वह अपना प्रत्येक कार्य, अध्ययन, भोजन, खेल-कूद तथा निद्रा आदि सही समय पर करता है। वह अपने समय का सदुपयोग करते हुए अपने लक्ष्य प्राप्ति में अडिग रहता हैं, वह सदा ही संयमित जीवन जीता है तथा कहानी तथा कुसंस्कारों से बचकर रहता है । उसके जीवन का सिद्धान्त 'सादा-जीवन', उच्च विचार होता है। वह कौए जैसा प्रयत्नशील, कुत्ते जैसी कम नींदवाला तथा बगुले जैसा ध्यावरत, कम खाने वाला, घर का मोह छोड़कर बिछाध्ययन के लिए निकल पड़ने वाला, संयमी, त्यागी, परिश्रमी, निष्ठावान, चरित्रवान तथा थैर्यवान जैसे गुणों की खान होता है। 

आदर्श विद्यार्थी के जीवन का लक्ष्य : विद्यार्थी जीवन 5 वर्ष की आयु से 25 वर्ष की आयु तक चलता है, लेकिन 10 वर्ष से 25 वर्ष का समय बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। यह समय ही आने वाले समय की नींव रखता है। इसलिए आदर्श विद्यार्थी उसे ही कहा जा सकता है जो अपने विद्याध्ययन के उत्तरदायित्व के प्रति जागरुक रहता है, अच्छे संस्कारों से अपने व्यक्तित्व को निखारता है, ज्ञान रूपी प्रकाश से अपने मस्तिष्क को आलोकित करता है तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का हर सम्भव प्रयास करता है।

आधुनिक काल में विद्यार्थी जीवन की समस्याएँ : आज का युग संघर्षों, प्रतिस्पर्धाओं तथा विषमताओं का युग है। आज विद्यार्थी जीवन पहले की भाँति स्वतन्त्र एवं निश्चिन्त नहीं है। आज विद्यार्थी जीवन से ही उसे अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पारिवारिक जीवन की समस्याएँ जैसे आर्थिक रूप से कमज़ोर होना, विद्यार्थी जीवन में राजनीति का प्रवेश, दूरदर्शन, सिनेमा, रेडियो, कम्प्यूटर, सैक्स जैसी रुकावटें उसे पथभ्रष्ट कर रही हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में तो आदर्श विद्यार्थी को और भी अधिक सजग रहने की जरूरत है। उसे राजनीति में प्रवेश न करते हुए-कम पैसे में ही पढ़ाई की ओर ध्यान देना चाहिए। फैशन को छोड़कर तथा दूरदर्शन, सिनेमा आदि के मायाजाल में न फँसते हुए सादगीपूर्ण जीवन जीना चाहिए। उसे अपने परिवार, समाज तथा देश की उन्नति को ध्यान में रखते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होना चाहिए।

उपसंहार : आदर्श विद्यार्थी कल का जिम्मेदार नागरिक बनता है। विद्यार्थी के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए उसके माता-पिता तथा गुरुओं को भी उसके सर्वागीण विकास की ओर ध्यान देना चाहिए। तभी आज के विद्यार्थी की महक कल उसके तथा दूसरों के जीवन को महका सकेगी।

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