आपके लिए पेश है रक्षा बंधन पर निबंध हिंदी में (raksha bandhan essay in hindi) इस निबंध में रक्षा बंधन की काफी सारी जानकारी दी गयी है।
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रक्षा बंधन निबंध हिंदी
प्रस्तावना : भारतीय त्यौहारों में रक्षाबन्धन बहुत ही प्राचीन एवं पावन त्यौहार है। इस पर्व को सारे देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे, 'सलूनों', 'शरवी', 'श्रावणी' इत्यादि। रक्षा बन्धन भाई-बहन के पवित्र प्यार के प्रतीक पवित्र धागों का पर्व है। यह स्नेह का त्यौहार, प्रतिज्ञा का उत्सव तथा बलिदान का पर्व है।
रक्षा बंधन मनाने की तिथि : रक्षाबन्धन प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन बहिनें अपने भाइयों को राखी बाँधती हैं, मिठाई खिलाती हैं तथा भाइयों के सुखद भविष्य की कामना करती हैं। भाई भी बदले में अपनी बहनों को रुपये, उपहार और सबसे बड़ी चीज उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
रक्षा बंधन मनाने का प्रयोजन : इस पर्व को मनाए जाने के विषय में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं लेकिन मूल कारण 'रक्षा' ही सर्वत्र विद्यमान है। विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया था। उन्होंने एक प्रसिद्ध अभिमानी राजा बलि से केवल तीन पग धरती दान में माँगी थी। राजा बलि ने तीन पग धरती देना स्वीकार कर लिया। भगवान विष्णु ने तीन पगों में सारी धरती को नाप लिया और राजा बलि को पाताल में भेज दिया। इस कथा की स्मृति में आज भी ब्राह्मण यजमान से दान लेते हैं और उनको रक्षा सूत्र बाँधते हैं।
रक्षा बन्धन का ऐतिहासिक महत्व भी है। मध्यकाल में गुजरात के शासक बहादुरशाह ने चित्तौड पर आक्रमण कर दिया था। चित्तौड की महारानी उस समय असहाय-सी पड़ गई थीं। तब उसने इस आपत्ति से बचने के लिए हमायूँ के पास रक्षाबन्धन का सूत्र भेजा था और उससे अपनी रक्षा की प्रार्थना की थी। हुमायूँ ने भी उस रक्षासूत्र का सम्मान किया और कर्मवती की रक्षा के लिए एक बड़ी सेना लेकर चित्तौड पहुँच गया।
श्रवण कुमार से भी इस त्यौहार का सम्बन्ध जोड़ा जाता है। श्रवण कुमार अपने माता-पिता को तीर्थयात्रा कराता हुआ इसी दिन अयोध्या पहुँचा था। जब वह सरयू नदी में पानी का घड़ा भर रहा था तब राजा दशरथ ने उसे जंगली हाथी समझकर बाण चला दिया था। इससे श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई थी। राजा दशरथ बहुत दुखी हो गए थे। वे पानी लेकर श्रवण कुमार के माता-पिता के पास गए और उन्हें सारा प्रसंग सुनाया । तभी श्रवण कुमार के माता-पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया था।
रक्षा बंधन मनाने की विधि : रक्षा-बन्धन के दिन महिलाएँ प्रातःकाल घर की सफाई करके नहा-धोकर स्वादिष्ट भोजन तैयार करती हैं। वे अपने भाइयों को राखी बाँधकर मिठाई खिलाती हैं तथा रोली-चावल का टीका लगाती हैं। सभी नए-नए कपड़े पहनते हैं और खुशियाँ मनाते हैं।
उपसंहार : बहनों द्वारा भाइयों की कलाईयों पर राखी बाँधने की पवित्र प्रथा युगों-युगों से चली आ रही है, जो आज के भौतिकवादी युग में भी भाई-बहन के रिश्तों को मजबूती से बाँधे रखती है।
रक्षा बंधन निबंध हिंदी PDF
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