आपके लिए पेश है श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में (krishna janmashtami essay in hindi) इस निबंध में कृष्ण जन्माष्टमी की काफी सारी जानकारी दी गयी है।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी निबंध हिंदी
प्रस्तावना : जब-जब संसार के अत्याचार, पाप, राग, द्वेष, घृणा, हिंसा ज़रूरत से ज्यादा बढ़ने लगते हैं, तब-तब संसार में किसी महापुरुष का जन्म होता है और दोबारा से धर्म की स्थापना होने लगती है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी इस धरती पर उस समय अवतार लिया था, जब राक्षस कंस के अत्याचार बहुत बढ़ गए थे तथा दीन-दुखियों का इस धरती पर जीना मुश्किल हो गया था।
कब और क्यों मनाया जाता है : जन्माष्टमी का यह पावन पर्व भाद्रपक्ष में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सारे भारतवर्ष में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पवित्र त्योहार प्रत्येक हिन्दू द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की याद में उनके जन्मदिन के दिन मनाया जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपक्ष में कृष्ण अष्टमी को रात के बारह बजे हुआ था। इनके पिता का नाम "वासुदेव" तथा माता का नाम "देवकी" था। देवकी कंस की बहन थी तथा कंस मथुरा का राजा था। सभी मथुरावासी कंस के अत्याचारों से बहुत दुखी थे। कंस अपनी बहन देवकी के बच्चों को पैदा होते ही मार देता था क्योंकि एक बार कंस के कानों में ऐसी भविष्यवाणी हुई थी कि वासुदेव और देवकी का आठवाँ पुत्र ही कस के विनाश का कारण बनेगा। जिस रात श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था, उसी क्षण मथुरा के चारों ओर खुशी की लहर दौड़ गई थी। यह बात आज से लगभग पाँच हजार वर्ष पहले की है लेकिन आज भी लोग उसी श्रद्धा तथा विश्वास से यह पर्व मनाते हैं।
जन्माष्टमी बनाने की विधि : जन्माष्टमी को मनाने का तरीका एक दम सरल एवं रोचक है। इसके लिए श्रद्धालु तथा आस्थावान लोग कई दिनों पहले से ही तैयारियाँ शुरू कर देते हैं। इस दिन लोग उस सुबह नहा-धोकर अपना घर सजाते हैं। सभी लोग बड़े ही श्रद्धा से पूरा दिन व्रत रखते हैं। घर में तरह-तरह के पकवान, खीर इत्यादि बनाते हैं तथा-घर के मन्दिर को भली-भाँति सजाते हैं। रात्रि को मन्दिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। आधी रात को लगभग 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय मन्दिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। शंख-घंटे-घडियाल बजाकर श्रद्धालु-जन अपनी खुशी प्रकट करते हैं। उसके बाद मंदिरों में चरणामृत, फल, मेवे तथा प्रसाद के रूप में पेड़े आदि बाँटे जाते हैं। इस दिन गाँवों तथा नगरों में अनेक स्थानों पर झाँकियों, झूलों तथा रास-लीलाओं का भी आयोजन किया जाता है।
मन्दिरों के दृश्य : इस दिन मन्दिरों की शोभा तो अवर्णनीय होती है। श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ कैसे गायें चराने जाते थे, गोपियों का उनके प्रति प्रेम, उनकी बाँसुरी की धुन को सुनने के लिए उमड़ती भीड़, कंस का वध, श्रीकृष्ण भगवान का जन्म इत्यादि क्रियाओं की झँकियाँ इस दिन प्रायः सभी मन्दिरों में प्रस्तुत की जाती हैं। मथुरा-वृन्दावन तथा ब्रज के अन्य नगरों तथा गाँवों में यह त्योहार बड़े ही उत्साहपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। अनेक मन्दिरों में व धार्मिक स्थानों पर इस दिन गीता का अखण्ड पाठ चलता रहता है।
जन्माष्टमी का महत्त्व : श्रीकृष्ण ने लोकररक्षा के अनेक कार्य किए थे तथा मानवता को अध्यात्म का पाठ पढ़ाया था। इसीलिए ग्रह त्योहार हिन्दुओं के लिए बहुत प्रेरणादायक है। यह हमें आध्यात्मिक तथा लौकिक सन्देश देता है। यह त्यौहार हर वर्ष नई प्रेरणा, नए उत्साह तथा नए-नए संकल्पों के लिए हमें सही रास्ता दिखाता है। यह पर्व हमें श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की याद तो दिलाता ही है, साथ ही उचित अधिकार पाने के लिए कठोर संघर्ष तथा निष्काम कर्म के महत्त्व को भी दर्शाता है।
उपसंहार : वास्तव में जन्माष्टमी का त्यौहार हमें यह सन्देश देकर जाता है कि पाप का नाश अवश्यमेव होता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाने के पीछे भी यही प्रेरणा छुपी होती है कि हम उनके आदर्शों पर चलकर अनेक चरित्रिक गुणों को ग्रहण करें तथा अपने जीवन को सार्थक बनाएँ।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी निबंध हिंदी PDF
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