आपके लिए पेश है तथागत भगवान गौतम बुद्ध पर निबंध हिंदी में (gautam buddha essay in hindi) इस निबंध में गौतम बुद्ध की काफी सारी जानकारी दी गयी है।

gautam buddha essay in hindi

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गौतम बुद्ध हिंदी निबंध

प्रस्तावना : जब कभी समाज के अनाचार, अशान्ति, अत्याचार, अज्ञान, कुरीतियाँ अपनी जड़ जमा लेती है, तब-तब कोई-न-कोई महापुरुष इस धरती पर जन्म लेता है और संसार को विपदाओं से उबारता है। महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म भी ऐसे ही समय में हुआ था जब समाज में अनेक कुरीतियाअपना दुष्प्रभाव दिखाकर मनुष्य को पतन की ओर ले जा रही थी। ऐसे समय में गौतम बुद्ध ने अहिंसा, प्रेम, सत्य, त्याग, शान्ति का पाठ पढ़ाकर इन क्रीतियों से मुक्ति पाने का बीड़ा उठाया था।

जन्म परिचय : गौतम बुद्ध का जन्म 569 ई. पूर्व में कपिलवस्तु के महाराजा शुद्धोधन तथा महारानी माया के गर्भ से लम्बनी नामक स्थान में वैशाख माह की पूर्णिमा को हुआ था। जन्म के समय ही इनकी माता के देहावसान हो गया था। इसलिए बुद्ध का पालन-पोषण विमाता प्रद्मावती ने किया था। इनके जन्म के समय ही ज्योतिषियों ने यह भविष्यवाणी की थी कि यह बालक मानव-जाति का सांसारिक या आध्यात्मिक सम्राट बनेगा।

विवाह : धीरे-धीरे बुद्ध के स्वभाव में परिवर्तन आने लगा। उन्हें सांसारिक सुखों में कोई रुचि नहीं थी। वे तो वैरागी का सा जीवन जीते थे। यह सब देखकर उनके पिता को चिन्ता होने लगी। अपने पुत्र को प्रसन्न रखने के लिए महाराजा शुद्धोदन ने अनेक उपाय किए तथा उनका विवाह अति सुन्दर कन्या यशोधरा के साथ करवा दिया। कुछ समय पश्चात्‌ उनके एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम “राहुल” रखा गया।

मन परिवर्तन : एक दिन सिद्धार्थ ने रथ पर सवार होकर बाहर भ्रमण करते हुए एक वृद्ध व्यक्ति को देखा। उसे देखते ही उन्होंने सारथी से पूछा, कि यह कौन है? इस प्रकार सारथी ने कहा कि बुढ़ापे में हर व्यक्ति की दशा दयनीय ही हो जाती है। आगे जाकर उन्हें एक अस्वस्थ व्यक्ति दिख। वह भी बहुत परेशान लग रहा था। बुद्ध ने सारथी से उस रोगी व्यक्ति के बारे में भी पूछा। जब सारथी ने बताया कि रोग में इन्सान की हालत ऐसी ही हो जाती है, तो उन्हें संसार से वैराग्य सा होने लगा। उन्हें लगा कि यह संसार तो नश्वर है, हर व्यक्ति का अन्त दुखदायी ही होता है। उन्होंने सांसारिक रहस्यों को जानने के लिए संसार को छोड़ने को निश्चय किया। उन्होंने मन में ठान लिया कि अप्राकृतिक सुख साधनों को त्यागकर वास्तविक सुख की खोज करना ही जीना है।

गुह त्याग : वे रात में अचानक उठे । अपनी पत्नी व बेटे को ध्यानपूर्वक देखा और उन्हें गहरी नींद में छोड़कर चुपचाप घर से निकल गए। नदी किनारे पहुँचकर उन्होंने अपने बालों को काट दिया तथा अपने राजसी ठाट-बाट सारथी को सौंप दिए। इसके पश्चात्‌ वे सत्य की खोज में निकल पड़े। सिद्धार्थ ने वनों में घूम-घूमकर तपस्या करनी आरम्भ कर दी। इससे उनका शरीर बेहद दुर्बल हो गया। अन्त में वे “गया” (बिहार) पहुँचे। वहाँ पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर उन्होंने कई दिन तक तपस्या की। वहा उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया। इसके पश्चातू वे "सारनाथ" आए तथा वहाँ उन्होंने पाँच साधुओं को उपदेश दिया। वे घूमते-घूमते कपिंलवस्तु भी आए। वहाँ उन्होंने अपने माता-पिता, पत्नी, पुत्र सभी को उपदेश दिए। वे लोग भी बुद्ध के उपदेशों को सुनकर बौद्ध बन गए।

बुद्ध की शिक्षाएँ : महात्मा बुद्ध ने मानव को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। उन्होंने दया, प्रेम, सहानुभूति, शान्ति, कर्त्तव्य निष्ठा जैसी भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया तथा उनकी इन शिक्षाओं का मानव जाति पर गहरा प्रभाव पड़ा। चीन, जापान, श्रीलंका, तिब्बत, नेपाल आदि देशों में आज भी बौद्ध धर्म का प्रभाव देखा जा सकता है।

उपसंहार : भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ प्रायदायिनी थी। उनकी शिक्षाएँ मात्र उपदेश नहीं, अपितु वे तो अनुभव पर आधारित थी। उनकी शिक्षाओं  ने हर रुढ़ि तथा आडम्बर का परित्याग कर वास्तविक आध्यात्मिक जीवन अपनाने की शिक्षा दी।


गौतम बुद्ध हिंदी निबंध PDF

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